शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग

आज के युग में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहाँ कम्प्यूटर प्रयोग न किया जाता हो। वैज्ञानिक अनुसंधान, उद्योग, व्यापार, सेना, संचार व्यवस्था, अन्तरिक्ष क्षेत्र, चिकित्सा, शिक्षा, यहाँ तक की कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में भी कम्प्यूटर का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं आदि के प्रकाशन में भी कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इससे प्रकाशन कार्य सहज और सरल हो गया है। इसकी सहायता से मौसम की पूरी जानकारी पहले से ही प्राप्त कर ली जाती है। ए. टी. एम. (ATM) कार्ड की सहायता से बैंक बन्द होने के बाद भी हम पैसा निकाल सकते हैं। यह सब कम्प्यूटर की ही देन है। वायुयान और मैट्रो रेलगाड़ी चलाने के लिए कम्प्यूटर नियंत्रित स्वचालित चालक बना दिए गए हैं जो बिना पायलेट की मदद से यान उड़ा सकते हैं और बिना ड्राइवर की मदद से रेलगाड़ी चला सकते हैं। रेलवे आरक्षण में, सूचना का आदान-प्रदान करने में भी कम्प्यूटर की उपयोगिता निरन्तर बढ़ती जा रही है।

कम्प्यूटरों के प्रकार (Types of Computers)

  1. कम्प्यूटरों की कीमत व अन्य सुविधाएँ
  2. कम्प्यूटरों के निर्माण के सिद्धान्त

कम्प्यूटरों की कीमत एवं अन्य सुविधाएँ

कम्प्यूटरों को उनकी कार्यक्षमता, आकार तथा कीमत के आधार पर चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है

  • माइक्रो-कम्प्यूटर
  • मिनी-कम्प्यूटर
  • मेन-फ्रेम
  • सुपर-कम्प्यूटर

1. माइक्रो-कम्प्यूटर- ये छोटे आकार के तथा कम कीमत वाले कम्प्यूटर होते हैं। इनमें माइक्रो-प्रोसेसर का प्रयोग करते हैं। इन्हें व्यक्तिगत कम्प्यूटर, पी. सी. भी कहते हैं क्योंकि एक बार में एक ही व्यक्ति द्वारा प्रयोग में लाया जा सकता है। इनकी स्मृति 16 से 512 किलो बाइट (KB) होती है। ये बहुत कम ऊर्जा का प्रयोग करते हैं। वातानुकूलन भी बहुत कम चाहिए। इनकी काम करने की गति कम होती है। ये स्थायी तथा विश्वसनीय होते हैं।

2. मिनी- कम्प्यूटर- मिनी-कम्प्यूटर माइक्रो की तुलना में बड़े आकार का होता है। इनकी कीमत व कार्य करने की क्षमता अधिक होती है। इनमें अधिक भण्डारण क्षमता होती है। पहला मिनी-कम्प्यूटर 1965 में लांच किया गया था। यह PDP-8 था। इनके द्वारा एक समय में एक से अधिक कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।

मिनी-कम्प्यूटर उन विभागों में प्रयुक्त होते हैं जहाँ नेटवर्किंग की आवश्यकता होती है जैसे- रेलवे आरक्षण प्रणाली

3. मेन फ्रेम कम्प्यूटर- ये कम्प्यूटर बहुत अधिक शक्तिशाली तथा तेज रफ्तार वाले होते हैं। इनकी भण्डारण क्षमता अधिक होती है। यह 16 MB से 32 MB या इससे अधिक होती है। इन कम्प्यूटरों का उपयोग बड़े उद्योगों, बैंकों और विश्वविद्यालयों में किया जाता है। जहाँ उन्हें भारी मात्रा में आँकड़े एकत्रित होते हैं। ये एक समय में हजारों की संख्या में कम्प्यूटरों को एक सर्वर के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं।

4. सुपर कम्प्यूटर-सुपर-कम्प्यूटर की कार्य करने की गति, शक्ति एवं क्षमता बहुत अधिक होती है। इन कम्प्यूटर में नैनो सैकंड अर्थात् Billions of a Second स्तर का समय चक्र होते हैं। इनकी कीमत भी बहुत अधिक होती है। बहुत अधिक महँगे होने के कारण इन्हें आम व्यक्ति या संस्था द्वारा प्रयोग में नहीं लाया जाता। इनका प्रयोग राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठित संस्था या कम्पनी द्वारा किया जाता है। एक सेकण्ड में करोड़ों तथा अरबों संगणनाएँ कर सकते हैं। इनके द्वारा किया गया कार्य विश्वसनीय तथा वैध होता है। इनका प्रयोग अन्तरिक्ष विज्ञान, मौसम से सम्बन्धित भविष्यवाणी, बायो-मेडीकल, रक्षा- विज्ञान, चलचित्र निर्माण जैसे कार्यों एवं उपकरणों को संचालित करने के लिए किया जाता है।

कम्प्यूटरों के निर्माण के सिद्धान्त

व्यवस्थित किए गए आँकड़ों के प्रकार के आधार पर कम्प्यूटरों का निम्नलिखित तीन

वर्गों में वर्गीकरण कर सकते हैं

  • अंकीय कम्प्यूटर
  • अनुरूप कम्प्यूटर
  • संकर कम्प्यूटर

1. अंकीय कम्प्यूटर-अंकीय या डिजिटल कम्प्यूटर असतत् या डिस्करीट आँकड़ों के मूल्यों (Discrete Data Value) के साथ क्रियाएँ करते हैं अर्थात् जिनमें गिनती होती है और तो बाइनरी (Binary) रूप में एक और शून्य शब्द (1 और 0) में होती है। इनकी कार्य क्षमता बड़ी तीव्र होती है। ये सभी प्रकार की सूचनाओं, आँकड़ों आदि को द्विआधारी पद्धति में बदलकर अपना कार्य करते हैं। यह एक सेकण्ड में लाखों, करोड़ों गणनाएँ एक साथ कर सकते हैं इनका कार्य पूर्णतः शुद्ध व सही होता है। इन कम्प्यूटरों द्वारा गणित की क्रियाएँ बहुत शीघ्रता से सम्पन्न होती है। यह अदा (Input) लेते हैं और संख्याओं, अक्षरों और विशेष चरित्रों के रूप में प्रदा देते हैं। प्रदा का प्रदर्शन छिद्रित कार्डों एवं टेपों पर चुम्बकीय क्षेत्रों, जो कागजों पर छप जाते हैं, द्वारा प्रदर्शित होते हैं। अंकीय कम्प्यूटरों का प्रयोग व्यापारिक और वैज्ञानिक आँकड़ों की प्रोसेसिंग करने के लिए किया जाता है।

2. अनुरूप कम्प्यूटर- अनुरूप या एनालोग कम्प्यूटर उन आँकड़ों के साथ क्रिया करते हैं जिनमें भिन्नता (Variation) निरन्तर या सतत् रूप में होती है और जो गणना करने की अपेक्षा मापन योग्य होते हैं। भौतिक प्रक्रिया को गणितीय समीकरण में परिवर्तित किया जाता है। इन समीकरणों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित किया जाता है। फिर इन संकेतों पर क्रियाएँ की जाती हैं। इसके बाद परिणामों को गणित के रूप में रिकॉर्ड किया जाता है। इन कम्प्यूटरों में की गई गणना 99% शुद्ध होती है, 10% शुद्धता की सम्भावना बनी रहती है।

एक एनालोग कम्प्यूटर में अदा को स्वीकार करने की योग्यता होती है जो समय और तीव्रता के साथ भिन्न होती रहती है तथा उन्हें प्रत्यक्ष रूप से, कम्प्यूटर के भीतर ही विभिन्न क्रियाओं के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो कम्प्यूटिंग क्रियाएँ सम्पन्न करती है।

इन कम्प्यूटरों का प्रयोग डाकघरों या मेलिंग रूप में किया जाता है क्योंकि ये किसी पैकेज के भार को डाक में होने वाले खर्च में बदल देते हैं। यह गणित के बहुत ही जटिल कार्यों को बड़ी तेजी के साथ सम्पन्न करता है। इनकी भण्डारण क्षमता अपेक्षाकृत अधिक होती है।

3. संकर कम्प्यूटर- एनालाग और डिजिटल कम्प्यूटरों को मिलाकर नए कम्प्यूटरों का विकास किया गया जिन्हें संकर या हाइब्रिड कम्प्यूटर कहा जाता है। ये कम्प्यूटर रोबोट, स्वचालित मशीन या उपकरणों में लगाए जाते हैं। ये स्वचालित मशीन को अपने अन्दर भरे प्रोग्राम के अनुरूप नियन्त्रित करके रखते हैं। ये कम्प्यूटर एक सहायक कम्प्यूटर के रूप में कार्य करते हैं। क्योंकि इन्हें किसी मुख्य मशीन या उपकरण के भीतर रखा जाता है। संकर कम्प्यूटर में एनालॉग कम्प्यूटर तापमान या रोगी के हृदय के उतार-चढ़ावों का मापन करता है। इन्हें फिर संख्याओं में परिवर्तित कर अंकीय भागों में संचित किया जाता है।

आज शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर कम्प्यूटर का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है क्योंकि यह उपकरण विद्यार्थी के ज्ञान का विस्तार करने, उसके ज्ञान का मूल्यांकन करने, दूसरे देशों से सम्पर्क स्थापित करने तथा विभिन्न कौशलों के विकास में सहायक होता है। विभिन्न सरकारें अपने-अपने राज्यों में कम्प्यूटर शिक्षा पर बल दे रही हैं।

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